रांची
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी पर तीखा राजनीतिक हमला करते हुए कहा है कि वे अब राज्य की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए "बेबुनियाद आरोपों का सहारा" ले रहे हैं। जेएमएम की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि डीजीपी नियुक्ति को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर सवाल उठाने से पहले बाबूलाल मरांडी को अपने शासनकाल की ओर देखना चाहिए, जिसने "भ्रष्टाचार और नौकरशाही के खेल" से मौजूदा व्यवस्था की नींव रखी थी। "आज जिन मुद्दों पर मरांडी जी शोर मचा रहे हैं, वे उन्हीं की सरकार की देन हैं। तब की नीतियों ने ही प्रशासन को इस स्थिति में पहुंचाया।"
जेएमएम ने मरांडी के बयान को "हास्यास्पद" करार देते हुए कहा कि अगर उनके पास कोई ठोस प्रमाण है तो सार्वजनिक करें, अन्यथा "झूठ बोलकर जनता को गुमराह करने की साजिश बंद करें।"
पार्टी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और संविधान का हवाला देने से पहले मरांडी को अपने ही कार्यकाल पर नजर डालनी चाहिए, जिसमें "संवैधानिक पदों का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग" किया गया था।
"जनता अब सब देख रही है और दोहरे चरित्र और सस्ती राजनीति को पहचान चुकी है, जिसका नतीजा पिछले चुनाव में भाजपा की हार के रूप में सामने आ चुका है।" जेएमएम ने अंत में कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य पारदर्शिता और विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है, और अगर बाबूलाल मरांडी को वाकई झारखंड की चिंता है, तो "झूठ फैलाने के बजाय रचनात्मक सुझाव दें – लेकिन ज़मीन पर उतरकर सच्चाई का सामना करना पड़ेगा।"